गुरुवार, 22 नवंबर 2012

कामयाबी का मूल मंत्र

शरीफों के साथ षड्यंत्र को अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर धरा पर गंगा उतर सकती है तो सयानों की सानपट्टी भी मिट्टी में मिल सकती है...और इसका बीड़ा मैंने उठाया है...मैंने खुद को बदलकर देखा तो असीम सुख की प्राप्ति हुई..मैं चाहता हूं कि ये बदलाव हर शरीफजादे में दिखे...गांव गांव गली गली..हर कूचे, खेतखलिहान में बदलाव की ये अलख जलानी है..। आखिर कब तक किनारे पर बैठा आम आदमी सरकार के भरोसे रहेगा...उसे भी हक है अपने पैरों पर खडे होने का...सरकार कहती है 29 रूपये कमा लो....22 रूपये कमा लो गरीब नहीं रहोगे...अगर कमी बेसी रही तो हम सब्सिडी देकर आपके सपनों को पंख लगा देंगे...लेकिन शर्त यही है कि बदलो मत..शासन प्रशासन की नौटंकी देखते रहो....नेताओं की जीत पर पटाखे फोड़ते रहो....वोट देकर उनकी कई पीढ़ियों को निहाल करते रहो...बस..। यही चाहती है सरकार...नेता....धंधेबाज..और दल्लों की चौकड़ी। दोस्तों इस साजिश को समझने में देर लगी लेकिन अब सब ठीक है...भरपूर शांति है...सुख सुविधा है... कार है...बंगला है...बैंक बैलेंस है...फीता काटने का मौका भी मिल जाता है....किसी भी अफसर की केबिन में धड़ल्ले से घुस जाता हूं... सरकारी अफसर मुझसे मिलने को तरसते हैं...लाल बत्ती वाले भी..मेरा लोहा मानते हैं...और पत्नी...अहा! उसकी तो पूछो ही मत...तन पर इतने जेवर जड़वा दिये कि उनके होते हुए मैडम को अब मुझमें कोई बुराई ही नजर नहीं आती...अब मैं पब में बैठकर छोरियों से गुटरगूं करूं या रात को दो बजे टल्ली होकर घर में घुसूं.... कोई डर नहीं..डांट फटकार नहीं.....गरमा गरम खाना मिलता है...सौ फीसदी प्यार के साथ। क्या हुआ....ये शान ओ शौकत देख कर टपकने लगी लार...होता है..होता है...यही अय्याशी तो हर शख्स चाहता है...लेकिन इस पर तो सदियों से सयानों का कब्जा है....आम आदमी और शरीफों से सुख सुविधाएं दूर ही रहती हैं..क्योंकि वो भाग्यवादी होता है..अरे! अगर भाग्य के सहारे दिन पलटने होते तो कब के पलट चुके होते..अब आपको ही कुछ करना होगा...खुद को बदलना होगा...आप जरूर जानना चाहेंगे कि मुझ मे ये बदलाव कैसे आया तो..क्या है तरक्की का मूल मंत्र...तो सुनो..। दोस्तो..हर शोषित, मजलूम, गरीब और शरीफजादे को अब एक ही चीज उबार सकती है..और वो है घूसखोरी। इसे जीवन में उतार लो तो बस..,इस धरा का कोई ऐसा सुख नहीं जो आपकी झोली में ना गिरे..तरक्की का यही ऐसा जरिया है जो जेल में भी रातें रंगीन करने का मौका देता है। आपका ही सर शोभाराम

कामयाबी का मूल मंत्र

शरीफों के साथ षड्यंत्र को अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर धरा पर गंगा उतर सकती है तो सयानों की सानपट्टी भी मिट्टी में मिल सकती है...और इसका बीड़ा मैंने उठाया है...मैंने खुद को बदलकर देखा तो असीम सुख की प्राप्ति हुई..मैं चाहता हूं कि ये बदलाव हर शरीफजादे में दिखे...गांव गांव गली गली..हर कूचे, खेतखलिहान में बदलाव की ये अलख जलानी है..। आखिर कब तक किनारे पर बैठा आम आदमी सरकार के भरोसे रहेगा...उसे भी हक है अपने पैरों पर खडे होने का...सरकार कहती है 29 रूपये कमा लो....22 रूपये कमा लो गरीब नहीं रहोगे...अगर कमी बेसी रही तो हम सब्सिडी देकर आपके सपनों को पंख लगा देंगे...लेकिन शर्त यही है कि बदलो मत..शासन प्रशासन की नौटंकी देखते रहो....नेताओं की जीत पर पटाखे फोड़ते रहो....वोट देकर उनकी कई पीढ़ियों को निहाल करते रहो...बस..। यही चाहती है सरकार...नेता....धंधेबाज..और दल्लों की चौकड़ी। दोस्तों इस साजिश को समझने में देर लगी लेकिन अब सब ठीक है...भरपूर शांति है...सुख सुविधा है... कार है...बंगला है...बैंक बैलेंस है...फीता काटने का मौका भी मिल जाता है....किसी भी अफसर की केबिन में धड़ल्ले से घुस जाता हूं... सरकारी अफसर मुझसे मिलने को तरसते हैं...लाल बत्ती वाले भी..मेरा लोहा मानते हैं...और पत्नी...अहा! उसकी तो पूछो ही मत...तन पर इतने जेवर जड़वा दिये कि उनके होते हुए मैडम को अब मुझमें कोई बुराई ही नजर नहीं आती...अब मैं पब में बैठकर छोरियों से गुटरगूं करूं या रात को दो बजे टल्ली होकर घर में घुसूं.... कोई डर नहीं..डांट फटकार नहीं.....गरमा गरम खाना मिलता है...सौ फीसदी प्यार के साथ। क्या हुआ....ये शान ओ शौकत देख कर टपकने लगी लार...होता है..होता है...यही अय्याशी तो हर शख्स चाहता है...लेकिन इस पर तो सदियों से सयानों का कब्जा है....आम आदमी और शरीफों से सुख सुविधाएं दूर ही रहती हैं..क्योंकि वो भाग्यवादी होता है..अरे! अगर भाग्य के सहारे दिन पलटने होते तो कब के पलट चुके होते..अब आपको ही कुछ करना होगा...खुद को बदलना होगा...आप जरूर जानना चाहेंगे कि मुझ मे ये बदलाव कैसे आया तो..क्या है तरक्की का मूल मंत्र...तो सुनो..। दोस्तो..हर शोषित, मजलूम, गरीब और शरीफजादे को अब एक ही चीज उबार सकती है..और वो है घूसखोरी। इसे जीवन में उतार लो तो बस..,इस धरा का कोई ऐसा सुख नहीं जो आपकी झोली में ना गिरे..तरक्की का यही ऐसा जरिया है जो जेल में भी रातें रंगीन करने का मौका देता है। आपका ही सर शोभाराम